Saturday, 8 July 2017

Heath Awareness

"होश" में रहकर जीने का तरीका.....!!


पहला चरण:  BODY AWARENESS. .

अपने शरीर को लेकर पूरी तरह सचेत होना। बुद्ध ने कहा, जब तुम चलते हो तब तुम्हारे मन को पता होना चाहिए कौन-सा पैर आगे गया और कौन-सा पैर पीछे गया। जब तुम भोजन करते हो, तब खुद को भोजन करते हुए देखो। भोजन मुह में किसी मशीन कि तरह मत डालो। भोजन के स्वाद का अनुभव करो। जब तुम स्नान करते हो, तब पानी के शरीर पर पड़ने के अनुभव को, पानी कि निर्मलता को, उसके ठंडेपन को, अनुभव करो।

सतर्क होकर बैठो और सतर्क होकर चलो। ऐसा करने से तुम वर्तमान में जीने लग जाते हो, यदि पहला चरण पूरा कर लोगे तो एक लाभ और भी होगा कि तुम शरीर और मन से जुड़ी बहुत-सी बीमारियों से आज़ाद हो जाओगे। आज योगी, साधू-साध्वी दो कारणो से आपको आकर्षित कर रहे हैं। पहला शरीरिक स्वास्थ्य, दूसरा मानसिक तनाव। किसी आसन किसी मंत्र कि जरुरत नहीं रह जाती, जब आप सहजयोग के मार्ग का अनुसरण करते हैं...


दूसरा चरण: THOUGHT/FEELING AWARENESS...

मन को लेकर सजग होना। जब गुस्सा, घृणा, द्वेष, घमंड और लालच आता है तो उसको सतर्कता से देखो, उसके कारणो को मन में तलाशो, उसके जन्म लेने कि जगह तक पहुँचो। मन में चलने वाले विचारों को देखो। उन विचारों के कारण जो तनाव और ख़ुशी के भाव उठ रहे हैं, उनको देखो।

जब तुम मन को देखते हो, तब पता चलता है कि मन हर वक़्त विचारों को बुन रहा है। तुम जानते हो मन, आँख, कान, नाक, बोलने और छूने आदि कि सूचनाओं के आधार पर विचार बना रहा है। मन और शरीर आपस में जुड़े हैं। धीरे धीरे तुम जानने लगते हो, जब भी तुम मन के स्तर पर सतर्क  होते हो, तब मन पहले के और आने वाले विचारों को तुम्हारे सामने लाने लगता है। तुम सपने में भी खुद को होश में पाते हो। तुम सपनों को अपने हिसाब से ढालने वाले बन जाते हो और अपनी इच्छा से सपने कि घटनाओं में बदलाव करते हो।


आखिरी चरण: TOTAL AWARENESS ( Body + thought + emotional)

खुद को लेकर पूरी तरह सजग। तुमको मापना होगा दिन के 12 घंटे में कितने घंटे तुम खुद को लेकर सजग हो। उस वक़्त को बढ़ाते जाना है। अचानक किसी दिन आप पाएंगे कि सारी कोशिशें और इच्छाएं ख़त्म हो चुकी हैं। सब आराम से होने लगा है। पता चलेगा सजगता और सतर्कता ही "आनंद" है। और फिर मन मस्त होकर गायेगा - "देह के अंदर पिया कलंदर . .!!


Witnessing consciousness is COSMIC VISION that traverses through the realms of Body and Mind (thinking +feelings).

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